वानी

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ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 11

........... ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 11.........

          मेरा अगला टार्गेट

हेलो फ्रेंड्स कैसे हैं आप लोग....."उम्मीद करती हूं अच्छे होंगे .....अब तक आपने पढ़ा देवांश और ज्योति की मैसेज पर बात होती है ...ज्योति का खुद के लिए खिलौना शब्द यूज करना देवांश को अच्छा नहीं लगता है और उसे यह चीज बुरी क्यों लग रही है यह बात उसे समझ नहीं आती ....वही विराज ज्योति की तस्वीर को देखकर मिस यू कहता है वही ज्योति के घर पर ज्योति अपने भाई के साथ मस्ती कर रही थी

"अब आगे"

ज्योति और दीपक जाकर डाइनिंग टेबल पर बैठ जाते हैं ....जहां उमा जी और राजेश जी पहले से ही बैठे थे....राजेश जी को वहां देख ज्योति खामोश हो जाती है .....उसे इतना खामोश देख दीपक कहता है 

"आते ही तेरा गुस्सा चालू हो गया"......अपनी लड़ाई झगड़े ना अपने यूनिट में ही रखा कर "घर को जंग का मैदान बनाने की जरूरत नहीं है .......राजेश जी कहते हैं..... "इसे बस मुझसे लड़ना आता है"..जब आती है तब बस लडाई..... मै बाप हु इसका फिर भी ये कुछ नही समझती है

ज्योति कुछ नहीं कहती है खामोश ही रहती है ....वह चारों चुपचाप बैठ कर खाना खा रहे थे खाना खाने के बाद ज्योति अपने मां पापा को सोने के लिए भेज देती है ....और खुद किचन की साफ सफाई करने लग जाती है 

ज्योति सफाई कर रही थी तभी वहां दीपक आ जाता है और उससे पूछता है "तेरा देवांश पर रिसर्च कैसा चल रहा है".ज्योति कुछ सोचते हुए कहती है ठीक चल रहा है वैसे... 
"अगर मैं आपको एक नंबर दूं".......तो क्या आप उसका कॉल रिकॉर्ड निकाल सकते हो.......और "क्या उस नंबर से फोन को हैक किया जा सकता है"......दीपक कुछ देर खामोश रहता है फिर कहता है 
"कोशिश की जा सकती है लेकिन अगर उस फोन का आईपी एड्रेस मिल जाए तो उसको ज्यादा आसानी से हैक किया जा सकता है"

ज्योति थोड़ा मायूस होते हुए कहती है..."आईपी एड्रेस तो नहीं है मेरे पास लेकिन एक नंबर है अगर उससे कोई बात बन जाए......"ठीक है तो नंबर दे देना मैं देखता हूं"...."लेकिन नंबर है किसका".....ज्योति अपनी नजरें इधर-उधर करते हुए कहती है......"वो...वो....नम्बर वो नंबर एक्चुअली वह नंबर देवांश का है" लेकिन "मुझे पूरा कंफर्म नहीं पता"
और एक बात बतानी थी आपको...... कबीर को आप जानते हैं दीपक थोड़ा सोचते हुए कहता है ....."तुम कबीर ओबरॉय की बात कर रही हो".....ज्योति कहती है हां "फेमस बिजनेस टायकून कबीर ओबरॉय"......"मेरा सबसे अच्छा दोस्त और मेरा अगला टारगेट भी" 

दीपक हैरानी से कहता है.."वह तुम्हारा दोस्त कैसे हैं और अगला टारगेट की वजह"......ज्योति अपनी भोली सी शक्ल बनाकर अपने भाई को देखने लगती है ..... उसे इतना मासूम बनते देख दीपक उसे घूरते हुए कहता है "देख इतनी मासूम शक्ल मत बना".....क्योंकि जब भी तु ऐसी शक्ल बनाती है तु कोई ना कोई धमाका जरूर करती है इस बार कौन सा कांड किया है वह बता.. 

ज्योति अपनी दोनों फिंगर को आपस मे गोल गोल घुमाकर उन्हे देखते हुए कहती है.... " मैंने कोई कांड नही किया है" और अपनी प्यारी आवाज़ मे कहती है.. यही लोग मुझे परेशान करते हैं.... 

दीपक उसे घूरते हुए कहता है.... लोग तुझे परेशान करते हैं.... पिछले दो साल से जो तु काण्ड कर रही है.... गिनवाउ... ज्योति मुह बनाते हुए कहती है... तो गुस्सा तो टेरेरिस्ट् ही दिलाते हैं ना.... क्यों घुसते हैं मेरे देश मे.... और मै बस इंफोर्मेशन निकालती हु.... 

अच्छा अब मुझे नींद आ रही है गुड नाइट इतना केहकर ज्योति अपने कमरे मे भाग जाती है..... दीपक उसे जाते देख कहता है इसका कुछ नही हो सकता.... वो भी अपने कमरे मे चला जाता है.. 

ज्योति अपने कमरे मे जाने की बजाए छत पर चली जाती है वही दीवार से अपना सिर लगाकर बैठ जाती है.... उसकी आँखो से आँसु की धार बेह निकलती है..... इस वक़्त वो क्या सोच रही थी कोई नही जानता... यूँही बैठे बैठे पूरी रात गुज़र जाती है

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"अगली सुबह"

"पटना के होटेल मे "

देवांश की आँखे खुलती है... उसकी नज़र सामने लगी घडी पर चली जाती है....जब वो टाइम देखता है तो सुबह का 6 बज रहा था... देवांश उठता है और कॉल करता है...... आधे घंटे मे नाश्ते के साथ मेरे कमरे मे.... इतना केहकर वो कॉल कट कर देता है... और रेडि होने  चला जाता है 
थोड़ी देर में देवांश रेडी होकर आता है और जैसे ही वो बैठता है दरवाज़ा नोक्क होता है.... अंदर आ जाओ..... इतना सुनते ही रॉकी नाश्ता लेकर अंदर आता है.... और देवांश के सामने रख देता है... 

देवांश नाश्ता करते हुए कहता है... ज्योति कबीर की दोस्त याद है.. रॉकी थोड़ा सोचते हुए कहता है..... "वही लड़की जो होटल मे कबीर के साथ थी... देवांश हाँ मे सर हिला देता है... उसकी पूरी इंफोर्मेशन चाहिए..... क्या करती है, कहाँ जाती है किस्से मिलती है..... सब कुछ...... ये सारी इंफोर्मेशन मुझे शाम तक चाहिए.... 

रॉकी ओक्के कहता है और वहाँ से निकल जाता है... देवांश खिड़की के पास खडा कुछ सोचने लगता है.. फिर अपना लैपटॉप लेकर उसमें एक फोटो थी जिसमें ज्योति स्टेशन पर खड़ी यश को जाते हुए देख रही थी.... देवांश उस तस्वीर को देखते हुए कहता है... 

जो दिखती हो तुम हो नहीं और जो हो... फिर एक तिरछी मुस्कान
के साथ कहता है.... मुझसे उलझ कर सही नही किया तुमने... 

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"ज्योति के घर पर "

सुबह का  5  बज रहा था ज्योति उठती है और अपना फोन चेक करती है फिर अपने कमरे मे चली जाती है.... कमरे मे जाकर रेडी होती है और अपने फोन को ईयर फोन से कनेक्ट करती है और कुछ सुनने लगती है ......थोड़ी देर सुनने के बाद ज्योति के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ जाती है ......ज्योति मुस्कुराते हुए खुद से ही कहती है....."देवांश तुमने आज तक औरत को सिर्फ दर्द और तकलीफ ही दिया है"....  "लेकिन इस बार तुमने मुझसे उलझ कर खुद के लिए मौत से भी बदतर सजा तय की है"

ज्योति  अपना नोटपैड निकालती है और उसके पन्ने पर कुछ लिखकर उसे अपने बोर्ड पर लगा देती है.... फिर एक कॉल करती है.... सामने से किसी आदमी की आवाज़ आती है...."किसकी खबर चाहिए"..... "देवांश की बिहार मे होने वाली डील पर नज़र रखो".. और "अपने किसी भरोसेमंद आदमी को कबीर पर नज़र रखने के लिए कहो".....वो आदमी थोड़ा हैरान होते हुए कहता है.... 
 आप किस कबीर की बात कर रही हैं.... कहीं कबीर ओब्रोइ तो नही...हाँ मै बिज़नेस टाइकुन कबीर ओब्रोइ की बात कर रही हु... 

वो आदमी ज्योति को समझाते हुए कहता है.. लेकिन मैम वो सबसे इमानदार आदमी है.... उसपर कैसे शक किया जा सकता है... वो आपका दोस्त है.....अब तुम मुझे बताओगे की कौन सही है और कौन गलत... वो आदमी अपनी बात सम्भालते हुए कहता है...नही मेरा मतल.... ज्योति उसकी बात काटते हुए कहती है... जितना बोला है उतना करो.... 
 इतना केहकर ज्योति कॉल कट कर देती है... और फोन रखके जैसे ही मुड़ती है
उसका फोन दुबारा बजता है... ज्योति जब अपना फोन देखती है... उसपर अर्जेंट लिखा था... अपना फोन घूरते हुए कहती है... अब किसकी मौत आ गई... और फोन उठा लेती है.... "ऑर्डर".... दूसरी तरफ से एक भारी आवाज़ आती है....  दो दिन बाद होटल ब्लू मून (कल्पनिक नाम)  टाइम अभी कॉन्फाॅर्म नही है..... "शाम 5 बजे.. तेजा और नोमान शेख की ड्रग्स की डील है"... ज्योति उस शक्स की बात काटते हुए कहती है.... 

टीम कोनसी.. ज्योति पूछती है तो वो आदमी कहता है "आर्मी की तीन तिगड़ी"..... और "इस बार पुलिस की तीन तिगड़ी भी".... ज्योति फिर पूछती है... पुलिस की तीन तिगड़ी मे कौन कौन है... वो शक्स बोलता है......."केरला का आई पी एस ऑफिसर विराज करियप्पा" , पंजाब की आइ पी एस ऑफिसर निर्जला रॉय, और अमृतसर का एक सब इंस्पेक्टर जसप्रीत सिंह ढिल्लों.... ज्योति कंफ्यूज़ होते हुए कहती है इस....."एस आई की खासियत" वो शक्स फिर कहता है... फिज़िकली तुम सबमे सबसे ज़ादा स्ट्रांग और एक्टिव

ठीक है फिर नंबर सेंड कर देना... ज्योति कहती है तो वो शक्स हस्ते हुए कहता है.... मुझे लगता है मुझे नम्बर देने की ज़रूरत है...ओवर एन आउट... इतना केहकर वो शकस फोन काट देता है... 

ज्योति फोन को घूरते हुए कहती है इनका कुछ नही हो सकता.. और  फोन रख अपनी माँ की मदद करने चली जाती है.... ज्योति जैसे ही नीचे आती है उसकी माँ सीधा कहती है..... बुआ जी आ गई हैं फटाफट चाय बना दो.... इतना केहकर चली जाती हैं.... ज्योति दुपट्टे को गले से लेकर कमर मे बांधते हुए कहती है... चल बेटा ज्योति आज से काम शुरू... कुछ दिन का आराम खतम... इतना बोल चाय बनाने चली जाती है

 
कौन है आर्मी की तीन तिगड़ी मे? क्या होने वाला है दो दिन बाद ब्लू मून होटल में? कौन है अर्जेंट जिसने ज्योति को कॉल किया था? क्या करने वाली है ज्योति? ज्योति के साथ क्या करने वाला है देवांश? कबीर को टार्गेट क्यों कर रही है ज्योति? 

मिलते है अगले चेप्टर मे तब तक खुश रहिये , आबाद रहिये जयपुर रहिये या मुरादाबाद रहिये.. और आगे की कहानी
जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरी कहानी ब्लेक बेंगल्स

  ...... बाय बाय.......

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5 Comments

madhura

11-Aug-2023 06:56 AM

Very nice

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Varsha_Upadhyay

01-Feb-2023 07:11 PM

Nice 👍🏼

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बेहतरीन भाग

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